उत्तराखंड: भाजपा की धामी सरकार लगातार यह दावे करती है,कि वह युवाओ के भविष्य को बेहतर करने की दिशा में कार्य कर रहे है और युवाओं के भविष्य को बेहतर कर भी रहे हैं। परंतु धामी सरकार के सारे के सारे दावे गलत साबित करती हुई सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट सामने आयी हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार “उत्तराखंड में बेरोजगारी फिर से बढ़ गई है। नवंबर की तुलना में दिसंबर में राज्य की बेरोजगारी दर में तीन फीसदी का इजाफा हुआ है। राज्य में बेरोजगारी दर नवंबर में 1.2 फीसदी थी, जो दिसंबर में 4.2 फीसदी पहुंच गई।”
नौवें नंबर पर है उत्तराखंड बेरोजगारी के मामले मे
आंकड़ों के मुताबिक, सबसे कम बेरोजगारी दर वाले राज्यों में उत्तराखंड देश में नौंवे स्थान पर है। हालांकि राज्य की बेरोजगारी दर राष्ट्रीय बेरोजगारी दर (8.3 फीसदी) से काफी कम है। सबसे कम बेरोजगारी दर उड़ीसा की (0.9 प्रतिशत) और सबसे अधिक हरियाणा की (37.4 फीसदी) आंकी गई है।
बेरोजगारी : सितंबर में सबसे कम, जून में सबसे ज्यादा
CMIE के आंकड़ों के मुताबिक, उत्तराखंड में वर्ष 2022 के दौरान सबसे कम बेरोजगारी दर सितंबर में 0.5 प्रतिशत रही। जबकि सबसे अधिक जून में 8.7 प्रतिशत आंकी गई।
इन राज्यों की बेरोजगारी दर उत्तराखंड से कम
उड़ीसा (0.9 प्रतिशत), गुजरात (2.3 प्रतिशत), कर्नाटक (2.5 प्रतिशत), मेघालय (2.7 प्रतिशत), महाराष्ट्र (3.1 प्रतिशत), मध्यप्रदेश (3.2 प्रतिशत), तमिलनाडु (4.1 प्रतिशत), तेलंगाना (4.1 प्रतिशत)।
कॉंग्रेस हैं धामी सरकार पर हमलावर
वही राज्य का विपक्षी दल कॉंग्रेस बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरने में लगा हुआ है, कल पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बेरोजगारों के समर्थन में नंगे पैर पदयात्रा की और धामी सरकार को चेताया कि यदि युवाओ को रोजगार देने में ही सरकार असफल हो रही हैं तो ऐसी सरकार बेकार है।
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