Muslim Fund Fraud: आमजन की करोड़ों की रकम लेकर फरार हुए मुस्लिम फंड संस्था के संचालक अब्दुल रज्जाक (Abdul Razzaq), उसके करीबी नसीम उर्फ मुन्ना एवं मसरूर को गिरफ्तार कर लिया गया है।
विदेश से सौ करोड़ की फंडिंग को लेकर बुने गए जाल में फंसने के चलते ही मुख्य आरोपी ने आमजन के करोड़ों रुपये दांव पर लगाए थे। मुख्य आरोपी अब्दुल रज्जाक की तलाश में सीआईयू एवं ज्वालापुर पुलिस की छह टीमें जुटी थीं।
तब कहीं जाकर इलेक्ट्रॉनिक्स सर्विलांस की मदद से ज्वालापुर से वह हत्थे चढ़ सका। एसएसपी अजय सिंह ने पुलिस टीम की पीठ थपथपाई है। जिला पुलिस मुख्यालय सभागार में पत्रकारों को जानकारी देते हुए एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि पिछले दिनों कबीर म्युचल बैनिफिट लिमिटेड (मुस्लिम फंड) के संस्थापक अब्दुल रज्जाक पुत्र सरफू निवासी गांव सराय करीब 13 हजार खाताधारकों की करोड़ों की रकम लेकर फरार हो गया था।
एक पीड़ित वसीम पुत्र समीम रावत निवासी गांव इब्राहिमपुर पथरी की शिकायत पर इस संबंध में धोखाधड़ी समेत प्रभावी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया था। उन्होंने बताया कि पूछताछ में सामने आया कि संस्था संचालक ने वर्ष 2013 से जमा रकम गांव के ही अपने साथी नसीम उर्फ मुन्ना हसन, मसरूर के साथ प्रॉपर्टी में निवेश कर दी थी। दोनों साथियों को मुस्लिम फंड में रकम जमा होने की जानकारी थी लिहाजा उन्होंने वर्ष 2020 में यूपी के संभल निवासी परिचित अंसार नाम के संबंध में भी जानकारी दी।
ब्लैक एंड व्हाइट के खेल में फंसा
उसने बताया कि अंसार का साथी साजिद मुंबई में रहता है, जिसका एक परिचित लंदन में रहता है। वह अपने सौ करोड़ को किसी पंजीकृत संस्था को दे देगा, जिसकी एवज में वह बीस करोड़ संस्था को देगा, जबकि शेष नंबर एक में उसे वापस करने होंगे। तय हुआ कि दस करोड़ से स्कूल संचालित करने के बाद बाकी रकम का बंटवारा कर लेंगे। विश्वास होने के बाद अब्दुल रज्जाक को दिल्ली ले जाकर अंसार एवं साजिद से मुलाकात कराई, जिसके बाद सौ करोड़ मिलने की प्लानिंग के तहत ही अब्दुल रज्जाक ने 3.5 करोड़ की रकम साजिद को दी। रकम देने के लिए रज्जाक ने संस्था के फंड से खरीदे चार करोड़ की जमीन महज दो करोड़ में बेच दी। बाकी रकम संस्था के खाते से ले ली। कुछ दिन बाद साजिद का मोबाइल फोन नंबर बंद हो गया। इधर, मसरूर और नसीम उर्फ मुन्ना एवं अंसार रकम न डूबने का भरोसा दिलाते रहे। यही नहीं अंसार ने लोनी गाजियाबाद में 25 बीघा भूमि उसके नाम कर देने की बात भी कही। उसे गाजियाबाद भी ले जाया गया, जहां उन्होंने दो करोड़ फिर से देने की मांग उसके सामने रखी तब वह समझ गया कि उसके साथ धोखा हुआ है।
ऐसे बुना गया दूसरा जाल
सौ करोड़ की प्लानिंग के बाद फिर से मसरूर और नसीम उर्फ मुन्ना ने एक हजार करोड़ की पुरानी करेंसी को बदलने का ताना बाना बुना। उन्होंने रज्जाक की मुलाकात अब्बास नाम के व्यक्ति से कराते हुए करेंसी बदलने को लेकर मोटी कमीशन देने की बात कही। अब्दुल रज्जाक ने विश्वास करते हुए करेंसी बदलने वाले शख्स की तलाश में जुट गया। इसी बीच किसी सुरेश नाम के व्यक्ति ने उससे संपर्क साधा। सुरेश ने विश्वास दिलाया कि वह रकम बदलवा देगा। फिर नसीम, मसरूर एवं अब्बास उसे लेकर लखनऊ भी गए। जहां डील नहीं हो सकी। उसके बाद देहरादून में अब्बास ने उनकी मुलाकात सन्नी, चौहान एवं शाहआलम नाम के व्यक्तियों से कराते हुए एक हजार करोड़ की पुरानी करेंसी होने की बात कही।
कहा कि पुरानी करेंसी तभी दिखाएंगे जब वह 10 करोड़ की नई करेंसी दिखाएंगे। सन्नी, चौहान ने अब्दुल रज्जाक को 10 करोड़ की रकम एकत्र करने की बात कहकर आधी-आधी रकम देने की बात पर राजी कर लिया। रज्जाक ने तीन करोड़ रुपये में संगम वेंडिंग पैलेस की अपनी साझेदारी दो करोड़ में बेच दी। जिसके बाद दो करोड़ की रकम सन्नी ने चौहान को दिलवाते हुए चौहान को दो करोड़ के चेक भी दिए। फिर शाहआलम के दिए एक हजार करोड़ के नोट सुरेश के पास ले गए जहां सुरेश ने गले कटे होने की बात कहकर रकम लेने से इनकार कर दिया।
1998 से हो रहा मुस्लिम फंड संचालित
मुस्लिम फंड वर्ष 1998 से संचालित हो रहा है। वर्ष 2020 में कबीर म्युचल बैनिफिट लि. के रूप में कॉर्पोरेट मंत्रालय से रजिस्ट्रेशन कराया गया। संस्था में फिलहाल 13,382 एक्टिव खाते हैं, जिनमें से 8716 खातों में 500 रुपये से कम धनराशि जमा है। संस्था में कुल 7.5 करोड़ जमा थे, जिसमें से करीब 1.5 करोड़ रुपये अब्दुल रज्जाक ने सोना गिरवी रखकर 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज पर दिए हुए हैं। पुलिस की जांच में सामने आए अब्दुल रज्जाक, उसके परिवार व उसके संदिग्ध सहयोगियों के 23 बैंक खाते फ्रीज किए जा चुके हैं और चल अचल सम्पत्ति की भी जानकारी जुटाई जा रही है। अब तक बारह लाख से अधिक रकम बरामद हो चुकी है। जिन लॉकरों में गोल्ड रखा है, उन्हें भी कोर्ट का आदेश लेकर खुलवाया जाएगा।


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